लेखनी कहानी - 900 साल पुराना एक मंदिर , जहा रात ढलते हर इन्सान बन जाता है पत्थर - डरावनी कहानियाँ
900 साल पुराना एक मंदिर , जहा रात ढलते हर इन्सान बन जाता है पत्थर - डरावनी कहानियाँ
मित्रो आज हम फिर से राजस्थान की एक ओर रहस्यमय जगह में बारे में बताने जा रहे है जिससे लोग आज भी अन्जान है | Roadies XI के एक एपिसोड में हमने इस मंदिर के बारे में सुना तो हमने इस मंदिर के बारे में अलग अलग माध्यमो से गहन अध्यन किया | इस मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि शाम ढलते ही इस मंदिर के लोग आस पास भी नहीं भटकते है क्यूंकि स्थानीय लोगो का ऐसा मानना है कि रात ढलते ही जो भी इंसान यहा रुक जाता है वो पत्थर की मूर्त में तब्दील हो जाता है | इस बात में कितनी सच्चाई इसके बारे में स्थानीय लोग या आप खुद जाकर पता लगा सकते है | इस मंदिर के इस रहस्य के बारे में जानने से पहले हम आपको इसका थोडा इसका इतिहास बताते है | किराड़ू मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले के हाथमा गाँव स्थित है जिसे 11वी शताब्दी में बनाया गया था | यह मंदिर इतना सुंदर बना है कि इतिहासकार इस मंदिर को राजस्थान का खजुराहो कहते है लेकिन 900 वर्ष से वीरान इस मंदिर की तरफ अभी तक इतने लोगो का ध्यान नहीं गया जिसके कारण ये मंदिर गुमनामियो के अंधकार में छिपा हुआ है | इस मंदिर में रही पाच बड़े मंदिरों की श्रुंखला भूकम्प से द्वस्त हो गयी थी | यहा पर दो मंदिर है जिसमे से एक शिव जी और दूसरा विष्णु जी का है | इस मंदिर पर बनी पत्थर की कलाकृतिया आपको प्राचीन समय की याद दिला देती है | तो मित्रो इस मंदिर के इतिहास के बाद इस मंदिर से जुड़े रहस्य से आपको रूबरू करवाते है स्थानीय लोगो के अनुसार आज से 900 साल पहले किराडू में परमार वंश का राज था | उस समय एक दिन एक साधू अपने कुछ शिष्यों के साथ यहा पर रहने को आये | यहा पर कुछ दिन रहने के बाद उन्होंने आगे ओर घुमने का निश्चय किया | एक दिन वो बिना शिष्यों को बताये एक रात यहा से निकल पड़े | उनके जाने के कुछ दिनों बाद वो सारे शिष्य बीमारी से ग्रसित हो गए | गाँव के किसी भी इंसान ने उनकी मदद नहीं की | केवल एक कुम्हारिन ने निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा की जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक हुआ | साधू घूमते घामते फिर से उसी जगह पहुचे तो उन्होंने अपने शिष्यों की कमजोर हालत को देखकर बहुत गुस्सा आया | उन्होंने गांववालों से कहा कि जिस जगह पर इन्सान के लिए दया नहीं वहा मानवजाति का विनाश है और ये कहकर उन्होंने पुरे गांववालों को पत्थर बनने का श्राप दे दिया | शिष्यों की सेवा करने वाली कुम्हारिन को इससे अछुता रखा और शाम ढलने से पहले बिना पीछे मुड़े गाँव से चले जाने को कहा | लेकिन उस महिला ने गलती से पीछे देख लिया और वो भी पत्थर की मूर्त बन गयी | नजदीक के गाँव में आज भी उस कुम्हारिन की मूर्त आज भी है |इस श्राप के बाद सूर्यास्त के बाद यहा कोई नहीं रुकता और जो रहता है वो पत्थर बन जाता है | हालंकि ASI ने इस जगह को अभी तक कोई प्रमाण देकर सरक्षित नहीं किया हो | इस विज्ञान के युग में आप इन बातो पर कितने प्रतिशत विश्वास करते है हमें ये तो पता नहीं है लेकिन प्राचीन समय में रहस्यमयी साधुओ द्वारा दिए श्रापो से भगवान भी अछूते नहीं रहे तो इन्सान की क्या मजाल है | इसलिए प्राचीन समय में लोग हमेशा साधू महात्माओ को खुश रखने की कोशिश करते थे | लेकिन वर्तमान में ना साधुओ का अस्तित्व है और ना ही इतनी आस्था शेष रही | बच गए बस ये खंडहर जो उनकी कहानी बयाँ करते है |